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वो किसी और का हो कर कहता है तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता 💔
लूट लेते हैं अपने ही वरना गैरों को कहा पता इस दिल की दीवार कहाँ से कमज़ोर है...✌️✌️
एक ख्याल ही तो हूँ मैं, याद रहे तो रख लेना, वरना सौ बहाने मिलेंगे मुझे भूल जाने के💔
दिसंबर से कह दो जरा आहिस्ता गुजरे , मुझे उसकी यादों को आग लगानी है ❤️🔥
धोखा एक ने दिया ' नफ़रत सबसे हो गई ...💔
फिदा हुए थे तुम पर तुम्हारी मासूमियत देखकर यार तुम तो बड़े बेरहम निकले..🖤✌️😔
अपनी मुहब्बत तो एक साल भी ना चल सका, पता नही लोगों का वर्षों-वर्षों तक कैसे चल जाता है!💔
वो मिला ऐसे जैसे कभी जाएगा ही नहीं, गया ऐसे, जैसे कभी मिला ही नहीं..❤️🩹
वादा था मुकर गया, नशा था उतर गया ! दिल था भर गया, इन्सान था बदल गया.❤️🩹
कटी हुई टहनियाँ कहाँ छाँव देती हैं। हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव देती हैं❤️🩹
चेहरो पे मरने वाले दिलों की कद्र नही करते..❤️🩹
तक़दीर बनाने वाले तूने हद कर दी तक़दीर में किसी और का नाम लिखा और दिल में चाहत किसी और की भर दी..❤️🩹
धीरे धीरे तो बस नज़दीकियां ही बढ़ती है, रिश्ते तो अक्सर एकदम से ही टूटा करते है.💔💯
वो सिर्फ मेरी थी, लेकिन सिर्फ मेरे सामने
हम रिश्ते कम बनाते है मगर दिल से निभाते है
बहुत करीब आकर बताया उसने कि तुम्हारा नहीं हूं मैं....
याद करोगे एक दिन मुझे ये सोच कर की क्यों नहीं कदर की मैंने उसके प्यार की
पता है तकलीफ क्या है किसी को चाहना फिर उसे खो देना और खामोश हो जाना
कभी मौका मिले तो सोचना ज़रूर कि एक लापरवाह शख़्स तेरी इतनी परवाह क्यूं करता है
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत खत्म कर दी अब मोहब्बत किसे कहते हैं हमे मालूम नहीं
हमे नहीं आता दर्द का दिखावा करना बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं
जब तेरी याद आती है ना आँखे तोह मान जाती है पर यह कम्बख्त दिल रो पड़ता है
हमारा उसका अब रिश्ता न पूछो तालुक तो है मगर टुटा हुआ है
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी
खुश हो ना हमारा प्यार अधूरा रह गया.. पर तेरा टाइमपास पूरा हो गया ..
जिस दिल में तेरा नाम बसा था हमने वो दिल तोड़ दिया ना होने दिया बदनाम तुझे तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया
शक करना गलत था पर शक बिलकुल सही था
वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
आवाज़ नहीं होती दिल टूटने की. लेकिन तकलीफ बहुत होती हैं.
मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं , मैं अर्सों से खामोश हूँ वो बरसों से बेखबर है
मिल सके आसानी से उसकी खवाहिश किसे है , ज़िद्द तो उसकी है जो मुक्कदर में लिखा ही नहीं है