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वो सिर्फ मेरी थी, लेकिन सिर्फ मेरे सामने
हम रिश्ते कम बनाते है मगर दिल से निभाते है
बहुत करीब आकर बताया उसने कि तुम्हारा नहीं हूं मैं....
याद करोगे एक दिन मुझे ये सोच कर की क्यों नहीं कदर की मैंने उसके प्यार की
पता है तकलीफ क्या है किसी को चाहना फिर उसे खो देना और खामोश हो जाना
कभी मौका मिले तो सोचना ज़रूर कि एक लापरवाह शख़्स तेरी इतनी परवाह क्यूं करता है
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत खत्म कर दी अब मोहब्बत किसे कहते हैं हमे मालूम नहीं
हमे नहीं आता दर्द का दिखावा करना बस अकेले रोते हैं और सो जाते हैं
जब तेरी याद आती है ना आँखे तोह मान जाती है पर यह कम्बख्त दिल रो पड़ता है
हमारा उसका अब रिश्ता न पूछो तालुक तो है मगर टुटा हुआ है
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से, अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी
खुश हो ना हमारा प्यार अधूरा रह गया.. पर तेरा टाइमपास पूरा हो गया ..
जिस दिल में तेरा नाम बसा था हमने वो दिल तोड़ दिया ना होने दिया बदनाम तुझे तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया
शक करना गलत था पर शक बिलकुल सही था
वो जो कल रात चैन से सोया हैं , उसको खबर भी नहीं कोई उसके लिए कितने रोया हैं..
आवाज़ नहीं होती दिल टूटने की. लेकिन तकलीफ बहुत होती हैं.
मत करो उसके मैसेज का इन्तजार जो ऑनलाइन तो है पर किसी और के लिया..
लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं , मैं अर्सों से खामोश हूँ वो बरसों से बेखबर है
मिल सके आसानी से उसकी खवाहिश किसे है , ज़िद्द तो उसकी है जो मुक्कदर में लिखा ही नहीं है
अगर किसी दिन तुम्हें रोना आए तो कॉल जरूर कर लेना, हंसाने की गारंटी तो नहीं लेता पर तेरे साथ जरूर रहूंगा
क्या इतने दूर निकल आये हैं हम, कि तेरे ख्यालों में भी नही आते ?
नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले !!
कोई भी रिश्ता अधूरा नहीं होता , बस निभाने की चाहत दोनों तरफ होनी चाहिए।
चाह कर भी उनका हाल नहीं पूछ सकते डर है कहीं कह ना दे कि ये हक्क तुम्हे किसने दिया
जो बीत गया सो बीत गया…आने वाला सुनहरा कल है वो…..मैं कैसे भुला दूँ दिल से उसे… मेरी हर मुश्किल का हल है वो
एक खूबसूरत सा रिश्ता यूँ खतम हो गया..हम दोस्ती निभाते रहे…..और उसे इश्क हो गया
क्या खूब मजबूरियां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दिया ” उसे ” खुश देखने के लिए
मुझे फरक नहीं पड़ता,,,,अब क़समें खाओ या जहर..!!
अब अगर तुम जाने ही लगे हो तो पलट कर मत देखना, *क्योकि मौत की सजा लिखने के बाद कलम तोड़ दी जाती है*
बेवजह इंतज़ार
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है..तो मेरा लहू लेले....यू कहानिया अधूरी न लिखा कर।
ना चाँद अपना था और ना तू अपना था ...!! काश दिल भी मान लेता की सब सपना था