दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके

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तेरे संग यारा , खुश रंग बहारा

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मैं रहूँ या ना रहूँ …तुम मुझ में कहीं बाकी रहना…

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किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ?…बेजुबान सा ये जहां है ..

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सच्ची सी हैं ये तारीफें ….दिल से जो मैंने करीं हैं….

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बातों को तेरी हम भुला ना सके …होके जुदा हम ना जुदा हो सके …

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हर ख़्वाब मेरा, उम्मीद मेरी …मैं तुझसे जोड़ दूँ…

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इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …

298

पल दो पल की ही क्यों है ज़िन्दगी …इस प्यार को है सदियाँ काफी नहीं ..

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तू की जाने प्यार मेरा…मैं करूँ इंतजार तेरा…

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मैं तेनु समझावां की…ना तेरे बिना लागदा जी…

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कल थे मिले,फिर क्यों लगे ऐसे… तुमसे मिले अरसा हुआ जैसे…

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मैं जो जी रहा हूँ …वज़ह तुम हो.. वज़ह तुम हो..

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तुम साथ हो या ना हो क्या फर्क है …बेदर्द थी ज़िन्दगी बेदर्द है…

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आपके प्यार में हम संवरने लगे ,देखके आपको हम निखरने लगे

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दीवाना तेरा.. तुझे ही बुलाए ,ये मर्ज़ी तेरी.. तू आए ना आए

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तुम बिन जिया जाए कैसे …कैसे जिया जाए तुम बिन…

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तू छूट कर, क्यों छूटा नहीं ,कुछ तो जुदा है अभी ,मैं टूट कर, क्यों टूटा नहीं

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अजनबी कहें की अपना कहें …अब क्या कहें, क्या ना कहें …

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मिलना तेरा मिलना मेरा …मिलना था क़िस्मत में लिखा…

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उम्मीदों से है घायल ,उम्मीद पे ज़िंदा है ….आस भरी अरदास को तू ऐसे ना ठुकरा …

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मेरी थी जो खामियां ,तुझसे पूरी हुई …बाक़ी हुवे बेवजह ,तू ज़रूरी हुई …

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तू पनाह मेरी, तू साया मेरा ….तू मंजिल मेरी, मैं मुसाफ़िर तेरा…

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हमारी अधूरी कहानी ....

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