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दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके
तेरे संग यारा , खुश रंग बहारा
मैं रहूँ या ना रहूँ …तुम मुझ में कहीं बाकी रहना…
किसे पुछूँ ? है ऐसा क्यों ?…बेजुबान सा ये जहां है ..
सच्ची सी हैं ये तारीफें ….दिल से जो मैंने करीं हैं….
बातों को तेरी हम भुला ना सके …होके जुदा हम ना जुदा हो सके …
हर ख़्वाब मेरा, उम्मीद मेरी …मैं तुझसे जोड़ दूँ…
इश्क़ सच्चा वही …जिसको मिलती नहीं मंज़िलें मंज़िलें …
पल दो पल की ही क्यों है ज़िन्दगी …इस प्यार को है सदियाँ काफी नहीं ..
तू की जाने प्यार मेरा…मैं करूँ इंतजार तेरा…
मैं तेनु समझावां की…ना तेरे बिना लागदा जी…
कल थे मिले,फिर क्यों लगे ऐसे… तुमसे मिले अरसा हुआ जैसे…
मैं जो जी रहा हूँ …वज़ह तुम हो.. वज़ह तुम हो..
तुम साथ हो या ना हो क्या फर्क है …बेदर्द थी ज़िन्दगी बेदर्द है…
आपके प्यार में हम संवरने लगे ,देखके आपको हम निखरने लगे
दीवाना तेरा.. तुझे ही बुलाए ,ये मर्ज़ी तेरी.. तू आए ना आए
तुम बिन जिया जाए कैसे …कैसे जिया जाए तुम बिन…
तू छूट कर, क्यों छूटा नहीं ,कुछ तो जुदा है अभी ,मैं टूट कर, क्यों टूटा नहीं
अजनबी कहें की अपना कहें …अब क्या कहें, क्या ना कहें …
मिलना तेरा मिलना मेरा …मिलना था क़िस्मत में लिखा…
उम्मीदों से है घायल ,उम्मीद पे ज़िंदा है ….आस भरी अरदास को तू ऐसे ना ठुकरा …
मेरी थी जो खामियां ,तुझसे पूरी हुई …बाक़ी हुवे बेवजह ,तू ज़रूरी हुई …
तू पनाह मेरी, तू साया मेरा ….तू मंजिल मेरी, मैं मुसाफ़िर तेरा…
हमारी अधूरी कहानी ....