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क्यों तुम खामोश हो गये..जी अब तक नहीं भरा था तेरी बातों से..
समझ में ही नही आता कभी-कभी, ये सब क्या हो रहा जिंदगी में...बस.. चुप-चाप तमाशे देख रही हु जिंदगी के...
अब तो वक्त ही उसे बतायेगा, की कितने कीमती थे हम !!
याद तो रोज करते है उन्हें , पर उन्होने कभी महसूस ही न किया.. 😌
मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही,अब रातों को जागना अच्छा लगता है…
बिखरे पल,भीगी पलके और ये तन्हाई है.....कुछ सौगाते है जो मोहब्बत से कमाई है....
माना की मरने वालों को भुला देतें है….सभी ...मुझे जिंदा भूलकर उसने कहावत ही बदल दी…
अधूरी ख़्वाहिश बनकर न रह जाना तुम ....दुबारा आने का इरादा नहीँ रखते हैं हम !!
वो मेरी मोहब्बत है, और मैं सिर्फ उसकी एक आदत !
इश्क़ में इतनी बेपरवाहियाँ भी ठीक नही हैं , बात हम नही करते ...तो तकल्लुफ तुम भी नही करते...!!
बस एक बार , उलझना है तुमसे, बहुत कुछ , सुलझाने के लिये
कोई पूछेगा तो सुबह का भूला कह देंगे, तुम आओ तो सही,हम शाम को सवेरा कह देंगे
इन् तरसती निग़ाहों का ख़्वाब है तू, आजा के बिन तेरे बहुत उदास हूँ मैं..!!
"अकेले कैसे रहा जाता है , कुछ लोग यही सिखाने हमारी जिंदगी मे आते है
तुम्हारे बिना रह तो सकती हूँ... मगर.. खुश नहीं रह सकती
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी..पहले पागल किया.. फिर पागल कहा.. और फिर पागल समझ कर छोड़ दिया
कैसे छोड दूं आखिर तुझसे मोहब्बत करना...तू मेरी किस्मत में ना सही.. दिल में तो है
किस्मत और दिल की आपस में कभी नहीं बनती ! जो लोग ♥ दिल में होते है ! वो किस्मत में नहीं होते
अब तो मोहब्बत 💕भी सरकारी नौकरी 🎓 जैसी लगती है, कम्बख्त ग़रीबों 👳 को तो मिलती ही नहीं
थोडा इंतजार कर ए दिल, उसे भी पता चल जाएगा की उसने खोया क्या है !
मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत इतनी , जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या करेंगे. ..!
कितनी महँगी पड़ी मुझे मुस्कुराने की अदा, सब अकेला छोड़ गए मुझे ये कहकर क़ि तुम तो अकेले भी खुश रह लेते हो
दर्द जब हद से ज्यादा बढ़ जाए , तो वो ख़ामोशी का रूप ले लेता है
नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता !
मोहबत के सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई..!
मैने तो बस तुमसे बेइंतहा मोहबत कि है , ना तुम्हे पाने के बारे मे सोचा है ना खोने के बारे मे
मेरी मोहबत की मजार तो आज भी वहीं है, बस तेरे ही सजदे की जगह बदल गई..!!
याद हैं हमको अपने तीनो गुनाह ! एक तो मोहबत कर ली, दूसरा तुमसे कर ली और तीसरा बेपनाह कर ली...!
बहुत याद आते हो तुम , दुआ करो मेरी यादाश्ति चली जाये
जब मोहब्बत बे-पनाह हो जाये ना.. तोह फिर पनाह कही नही मिलती
वो बोलते रहे, हम सुनते रहे - जबाब आँखों में था , वो लफ्जों मे ढूढते रहे
कैसे गुज़र रही है सब पूछते है , कैसे गुजारता हु कोई नहीं पूछता |