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मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ, सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है !!
उसका मिलना ही मुकद्दर में नहीं था वरना क्या क्या नहीं खोया उसे पाने के लिये
दास्तां सुनाऊं और मज़ाक़ बन जाऊँ बेहतर है मुस्कुराऊं और ख़ामोश रह जाऊँ
यकीनन मुझे तलाशती हैं तेरी आँखें....ये बात अलग है,, तुम ज़ाहिर नही होने देते...
नुक्स निकालते है वो इस कदर हम मे , जैसे उन्हे खुदा चाहिए था और हम इंसान निकले 😔
जिसे दिल मे जगह दी थी वो ही सब बर्बाद कर गया....!!
लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते…
यक़ीं न आए तो इक बार पूछ कर देखो जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा...
हम उनसे तो लड़ लेंगे जो खुले आम दुश्मनी करते हैं... लेकिन उनका क्या करे जो लोग मुस्कुरा के दर्द देते हैं...
दर्द सिर का हो या दिल का..दोनों बहुत बुरे होते है💔
मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है , मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की..........❤️
"बात इतनी है के तुम बहुत दुर होते जा रहे हो... और हद ये है कि तुम ये मानते भी नही...."
हर रोज़, हर वक़्त तुम्हारा ही ख्याल ना जाने किस कर्ज़ की किश्त हो तुम
वो हाल भी ना पूछ सके...हमे..बे-हाल देख कर......हम हाल भी...ना बता सके... उसे खुश-हाल देख कर.......
किसी से कभी कोई उम्मीद मत रखो क्योंकि उम्मीद हमेशा दर्द देती है!
कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं जब दिल भर जाता है तो लोग अक्सर रूठ जाया करते हैं 👈
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं.. आंख बरसे तो क्या किया जाए..??
यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो...
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है .....
ज़िन्दगी से भला क्या शिकायत करें बस जिसे चाहा उसने समझा ही नही
साजिशों का पहरा होता है हर वक़्त रिश्ते भी बेचारे क्या करें, टूट जाते हैं बिखर कर...
कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते कहते रह गए..❗️ मै सही तुम गलत के खेल में, न जाने कितने रिश्ते ढह गए..‼️
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे!!
अब तो खुद को भी निखारा नहीं जाता मुझसे _वे भी क्या दिन थे कि तुमको भी संवारा हमने ...?
प्यार था और रहेगा भी..लेकिन बस अब बार बार टूटने की हिम्मत खत्म हो गयी है डर में नही जी सकते के कब कौन बीच रास्ते साथ छोड़ जाए अकेले का सफर कठिन है जानती हूँ पर किसी के साथ रहकर भी तन्हा महसूस करना ज़्यादा बुरा लगता है 😔
एक सफर जहां फिरसे सब 'शून्य' से शुरू करना होगा।
रिश्तों को वक़्त और हालात बदल देते हैं...अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते हैं ..
इस छोटी सी उम्र में कितना कुछ लिख दिया मैंने, उम्रें लग जायेंगी, तुम्हे मुझे पूरा पढ़ने में।
कभी सोचा न था की वो भी मुझे तनहा कर जायेगा!जो अक्सर परेशान देखकर कहता था.... मैं हूँ न
जब रिश्ते ही दम तोड़ चुके हों.... तो फिर प्यार, इजहार,गलती का अहसास ,सही गलत कुछ भी मैटर नहीं करता। 💕
कभी कभी नाराज़गी दूसरों से ज्यादा खुद से होती है |
उस दिन चैन तो तुम्हारा भी उड़ेगा जिस दिन हम तुम्हे लिखना छोड़ देंगे |