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हम खुद से बिछड़े हुये लोग हैं, तुमसे क्या मिल पायेंगे |
खुद से बात कर के खुद से ही झगड़ता हूँ, तुम्हारे जाने के बाद अंदर से कितना उलझता हूँ....
खुद से बातें करने लगी हूँ, वैसे भी आजकल लोग सुनते कहाँ हैं ,
बेबसी किसे कहते है, कोई हमसे पूछे, उसका नम्बर तो है पर बात नही कर सकते..!!
जबरदस्ती की नजदीकियों से सुकून की दूरियां ही अच्छी हैं.!
हालातों ने खो दी इस चेहरे की मुस्कान, वरना जहाँ बैठते थे रौनक ला दिया करते थे।
कितना खुश था कभी मैं खुद की ही दुनियाँ में..... ये गैरों की मोहब्बत ने मुझे तबाह कर दिया।
मुझे इन्तजार था कि तुम समझो मुझको तुमने समझा दिया कि बस इन्तज़ार करो |
कैसे कह देते हैं लोग रात गई बात गई, यहां जमाने गुज़र जाते हैं दिल पर लगी बात को भुलाने में |
जो लोग ज्यादा हस्ते है ना, अक्सर लोग उनके अंदर का दर्द समझ नहीं पाते है...
बनावटी रिश्तो से ज्यादा, सुकून देता है अकेलापन |
पता नहीं सुधर गया के बिगड़ गया, ये दिल अब किसी से बहस नहीं करता..!
अब शिकायतें नहीं होती किसी से, बस हल्का सा मुस्कुरा देता हूं.
मैं उनका हूँ ये राज सब जानते हैं वो किसके हैं ये सवाल मुझे सोने नहीं देता |
अजीब खेल है ये मोहब्बत का किसी को हम न मिले कोई हमें ना मिला |
काश तुम्हें भी पता होता, तुम्हारे बगैर दिन कितना बुरा गुजरता है.
वो वक़्त कुछ और था, वो इश्क़ का दौर था, ये वक़्त कुछ और है, ये ख्वाहिशों का दौर है.!
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।”
कभी अकेले रह कर देखना, लफ़्जों से ज्यादा आँसू निकलते हैं.
सजा ये है कि बंजर जमीन हूँ मैं और, जुल्म ये है कि बारिशों से इश्क़ हो गया |
तू उदास मत हुआ कर इन हज़ारो के बीच आखिर चांद भी तो तन्हा है सितारों के बीच |
बहुत लड़ी मैं तुमसे पर तुम्हारी यादों से हार गई |
कोई ठुकरा दे तो हसकर जी लेना, क्यूकि मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती नहीं होती !
ठोकर खाया हुआ दिल है साहब भीड़ से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है.
सच कहा था किसी ने कि तन्हाई में जीना सीख लो मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है |
ना साथ है किसी का, ना सहारा है कोई, ना हम किसी के हैं ना हमारा है कोई.
अजब पहेलियाँ हैं हाथों की लकीरों में सफ़र ही सफ़र लिखा हैं हमसफ़र कोई नहीं |
तू उदास मत हुआ कर इन हज़ारो के बीच आखिर चांद भी तो तन्हा है सितारों के बीच
मोहब्बत तोह आज भी करते है, लेकिन तू बे -खबर है, कल की तरह.
कितना खुश था कभी मैं खुद की ही दुनियाँ में ये गैरों की मोहब्बत ने मुझे तबाह कर दिया |
कुछ वक़्त खामोश होकर भी देख लिया हमने, फिर मालूम हुआ कि लोग सच में भूल जाते है
फैसला ! नहीं हो पा रहा, तनहा ! रात है या मै ...