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रफ़्ता-रफ़्ता बुझ गया चिराग़-ए-आरजू .... पहले दिल ख़ामोश था अब ख़्वाहिशें ख़ामोश हैं
मन की बात कहाँ निकाले कोई जारिया नहीं मिलता... किसी से नजर नहीं मिलती किसी से नजरिया नहीं मिलता...
अकेले बदनाम नही होना मुझे जमाने में .........लिख लिख कर तुझे भी मशहूर करेंगे हम
वो हमसे झूठ बोल कर मुस्कुरा रहे थे , हम भी मुस्कुरा रहे थे क्योंकि उन्हे पता ही नही था वो मेरी नज़रों से गिरते जा रहे थे..
खुली हवा सिर्फ इंसान को ही नहीं.. कभी-कभी रिश्तों को भी चाहिए....
नही पसंद मुझे अपनी तारीफ लेकिन आप लोगो को कभी रोका है तो बताओ
जो तुम्हे सच में चाहेगा वो तुमसे कुछ नहीं चाहेगा
ज़िन्दगी में इतना मुस्कुराओ 😇 की ज़िन्दगी भी देखकर मुस्कुरा उठे😎
वही सबसे तेज चलता हे जो अकेला चलता है
सब रिश्ते को परख लिया बस नतीजा एक ही निकला की जरूरत ही सब कुछ है रिश्ते तो कुछ भी नहीं
टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद अब कोई अच्छा भी लगे तोह हम इज़हार नहीं करते
बड़ी अजीब होती हैं यह यादें कभी हँसा देती हैं कभी रुला देती हैं
हवा में सुनी हुई बातो पर यकीन न करे , कान के कचे लोग अक्सर अच्छे दोस्त खो देते है
हवा में सुनी हुई बातो पर यकीन न करे , कान के कचे लोग अक्सर अच्छे दोस्त खो देते है
जब मर्द की आखो से आंसू छलकने लगे तो समझ लो मुसीबत पहाड से भी बड़ी है
मै अपनी तारिफ खुद ही करता हू क्योकि मेरी बुराई के लिए तो पूरा जमाना तैयार बैठा है
ज़िन्दगी में इतना बिजी रहो जिससे दर्द को वक़्त ही न मिले
इतना नाराज़ भी नहीं होना चाहिए की मानाने वाला भी बोलदे "भाड़ में जाओ "
नज़र और नसीब में भी क्या इतेफाक हैं यारो नज़र उसे ही पसंद करती हैं जोह नसीब में नहीं होता
तू करले हिसाब अपने हिसाब से लेकिन ऊपरवाला लेगा हिसाब अपने हिसाब से
हर चीज़ हद्द मैं अच्छी लगती है मगर तुम बेहद्द अच्छे लगते हो
अपने वजूद पे इतना तो यकीन है मुझको, कोई छोड़ तो सकता है मुझे पर भुला नहीं सकता
ज़िंदगी कुछ दिनों की है और मैं कुछ दिनों से बहुत परेशान हूँ
लोग कहते है नफरत बुरी चीज़ है तो मोहब्बत ने हमें कोनसा झूला झुलाया
न दोस्ती मिली न प्यार मिला हर मोङ पर एक मतलबी यार मिला
भाई जब तक तेरे पास पैसा है वह पूछेगी मेरा बाबू कैसा है
आज इगनोर कर रहे हो कल याद करो गे
मोहब्बत में शक और गुस्सा वही करते है जो आपको खोने से डरते है
सब के दिल में बसते हो, हाय सनम तुम कितने सस्ते हो
अलग हु पर गलत नहीं
गुस्सा तो आता है जब कोई इंसान हमें उसकी ज़िन्दगी का एक लम्हा तक नहीं समझता और हम उसे अपनी ज़िन्दगी समझ लेते हैं
बहुत सोचना पढता है अब मुँह खोलने से पहले क्यूंकि अब दुनिया दिल से नहीं दिमाग से रिश्ते निभाती है