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सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है
कितने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयान करूँ, लो तुम्हारा नाम लेकर किस्सा तमाम करूँ
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये ,, जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे! बड़ी दुआओं से पाया है तुझे! तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे! किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की, शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की
खुदा ने जब इश्क़ बनाया होगा,.,., तो खुद आज़माया होगा,.,., हमारी तो औकात ही क्या है,.,., इस इश्क़ ने खुदा को भी रुलाया होगा
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है आखरी सास तक तेरा इंतजार करू
उससे बढ़कर मेरी खुशी क्या है,तुम सलामत रहो कमी क्या है,
कितनी ही खूबसूरत क्यों न हो तुम.. पर मैं जानता हूँ.. असली निखार मेरी तारीफ से ही आता है..
ये दिल भी कितना पागल है हमेशा उसी की फिकर मे डुबा रहता है जो इसका होता ही नही है !
बेशक तू बदल ले अपनी मौहब्बत लेकिन ये याद रखना,, तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता!!
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था !
कुछ इस तरह से….नाराज हैं वो हमसे, जैसे उन्हें, किसी और ने…मना लिया हो..!
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता
वो ना ही मिलते तो अच्छा था… बेकार में मोहब्बत से नफ़रत हो गई…
तुम ही वजह मेरे खालीपन की.. और.. तुम्ही गूंजते हो मुझमें हरदम !
कोई भी दीवारें मुझे तुमसे मिलने से ना रोक पाती,अगर तू मेरे साथ होती तो
दिल मेरा कूछ टूटा हुआ सा है,उससे कूछ रुठा हुआ सा है
मेरे दिल से उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है,जब वो मुस्कुरा के पूछती है, नाराज हो क्या.?
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती .
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर,तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये.
सुनो… तुम ही रख लो अपना बना कर..औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर..!!
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं..!
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं|
धड़कनों को भी रास्ता दे दीजिये हुजूर,आप तो पूरे दिल पर कब्जा किये बैठे है.
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते !!
मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे,अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती
अगर हम सुधर गए तो उनका क्या होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है
गर्मी तो बोहत पढ़ रही है। फिर भी उनका दिल पिघलने का नाम ही नहीं ले रहा ।
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,मुझे भी अपनी जिद्द बना लो !!
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं; चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए।
हो जा मेरी कि इतनी मोहब्बत दूँगा तुझे,लोग हसरत करेंगे तेरे जैसा नसीब पाने के लिए..!!