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एक तू और तेरा प्यार, मेरे लिऐ काफी है मेरे यारा...💝
अपनापन छलके जिस की बातों में .. सिर्फ़ कुछ ही बंदे होते है लाखों में
बिन कहें मेैं समझ जाउ , वो अहसांस हो तुम
💕💕 उस शाम तुमने मुड़कर मुझे देखा जब, यूँ लगा जैसे हर दुआ कुबूल हो गयी 💕💕
मुझे भी ज़िन्दगी में तुम ज़रूरी मत समझ लेना, सुना है तुम ज़रूरी काम अक्सर भूल जाते हो…!!
तू करे ना करे..... मेरा इश़्क काफ़ी है... हम दोनों के लिये
मुद्दत के बाद जिन्दगी फिर से मुस्कुराने लगी है , किसी की धडकन हमें अपना बनाने लगी है...!!
💓 नजर चाहती है दीदार करना 💕 दिल चाहता है तुम्हें प्यार करना 💝
रिश्ता दिल में होना चाहिए शब्दों में नहीं और नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं।
अगर मुझे समझना चाहते हो तो, 😍 बस दिल से अपना समझो.....💕
कभी-कभी किसी से ऐसा रिश्ता भी बन जाता हैं...कि हर चीज से पहले उसी का ख्याल आता है
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए , मुझे बस तेरी एक झलक चाहिए
इस दिल में तुम्हारे सिवा किसी को इजाजत नहीं
खुदा करे की किसी पर कोई फ़िदा न हो , अगर हो तो मौत से पहले जुदा न हो
लापता होकर निकले थे मोहबत में तेरी , हमें कया पता था मशहूर हो जाएंगे
💖 हम तो मोहबत के नाम से भी अनजान थे, एक शख्स की चाहत ने पागल बना दिया
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबुत रखना जरा से भी चुके तो मोहबत हो जायेगी
वो ज़िंदगी ही क्या जिसमे मोहब्बत नही, वो मोहबत ही क्या जिसमे यादें नही, वो यादें क्या जिसमे तुम नही, और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही!!
मेरी जिंदगी मे खुशियाँ तेरे बहाने से है , आधी तुझे सताने से है आधी तुझे मनाने से है
दिलो मे रहता हु, धड़कने थमा देता हु - मे इश्क हु - वजूद की धजिया उड़ा देता हु
ग़ालिब ने खूब कहा है - ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
“एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा
मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो, मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना
ऐसा नही है कि मुझमे कोई ‘ऐब’ नही है.. पर सच कहता हूँ मुझमें ‘फरेब’ नहीं है
“अगर प्यार है तो शक़ कैसा …अगर नहीं है तो हक़ कैसा
फिर ग़लतफैमियो में डाल दिया.. जाते हुए मुस्कुराना ज़रूरी था
कहेते है इश्क ऐक गुनाह है जिसकी शरुआत दो बेगुनाहो से होती है.
आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है
ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया
मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं
क्या खबर थी की मुहब्बत हो जायेगी। हमें तो सिर्फ उनका मुस्कुराना अच्छा लगा था |
बस जाते हैं दिल में इजाज़त लिए बगैर, वो जिन्हें हम ज़िन्दगी भर पा नहीं सकते |