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हंसता तो रोज हूं, पर खुश हुए जमाना हो गया।
आज अचानक कोई मुझसे लिपट कर बहुत रोया, कुछ देर बाद एहसास हुआ ये तो मेरा ही साया है।
बहुत कुछ कहा था तुझसे, लेकिन जब तुम हाल ना समझ सके तो बातें कहाँ से समझोगे।
सिनेमा नहीं हकीकत है जिंदगी, जाने बाले पलटकर नहीं देखा करते.!!
एक तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल को, बाकी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में..!!
अक्सर खूबसूरत चेहरे,...दगा बड़े सलीके से देते है....
कैसे कह दूं कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है |
वाकिफ थे बाकायदा उन गलियों से हम फिर भी ना जाने कैसे ठोकर लग ही गयी।
खुशियाँ दिखावे की हो सकती हैं, जनाब ग़म तो छुपाने से भी नहीं छुपता है|
सोचा ही नहीं था..जिन्दगी में ऐसे भी फ़साने होगें, रोना भी जरूरी होगा..और आँसू भी छुपाने होगें.!
मसला पाने का होता तो ख़ुदा से छीन लेता ख़्वाहिश तुझे चाहने की है, उम्र भर चलेगी |
वो लोग क्यों मिलते ही दिल में उतर जाते है, जिन लोगो से किस्मत के सितारे नहीं मिलते..
टूटी चीज़े हमेशा परेशान करती है, जैसे दिल, नींद, भरोसा और सबसे ज्यादा किसी से उम्मीद..
जो मैंने तेरा दिल चुराया, इसमें मेरी कोई खता न थी अपने ग़मों को मैं कहां छुपाता, मेरे दिल में कोई जगह न थी |
तेरी एक कॉल की उम्मीद पे, मैने अभी तक अपना फोन नंबर नही
नब्ज तो चल रही है आज भी मेरी पर, वो हकीम कहता है, मैं मर चुका हूं मोहब्बत में !
बहुत अंदर तक तोड़ डालता है, वह अश्क जो आंखों से बह नहीं पाता |
मैं मर जाऊँ तो मेरी कब्र पे लिख देना मौत बेहतर हैं दिल लगाने से...!!
अब इतने भी भोले नहीं कि तुम वक़्त गुज़ारो और हम उसे प्यार समझे |
"तुम" याद आओगे यकीन था मुझे, इतना आओगे अंदाजा नहीं था...!
उनके प्यारे से चेहरे पर रंग लगा देते! वो पास होते तो हम भी होली मना लेते !!
रेल की खिड़कीयां तो खोल दी थी हमने मगर रात थी जब तुम्हारा शहर आया था....!
मिले तो हजारो लोग थे जिंदगी में, मगर वो सबसे अलग था जो किस्मत में नही था।
मत चाहो किसी को इतना की बाद में रोना पडे, क्यूंकि ये दुनियां दिल से नहीं ज़रूरत से प्यार करती हैं।
जो चीज़ वक़्त पर ना मिले, वह बाद में मीले या ना मिले, कोई फर्क नहीं पड़ता।
जनाब तुम महोबत की बात करतें हो हमनें तो दोस्ती मैं भी धोखे खाये हैं।
गलतफ़मियों मेहीखोगये वो रिश्ते, वरना कुछ वादे अगले जन्म के भी थे! ::
मोहब्बत तो सिर्फ मुझे हुई थी, उसे तो तरस आया था मुझ पर।
शुक्र है message का ज़माना है, वरना तुम तो मेरे भेजे गए कबूतर मार देती....
हमने तो मोहब्बत कीयी थी वो भी कर लेती तो शायद इश्क कहलाता...।
हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता..
साथ तो जिंदगी भी छोड़ देती है, शिकायत लोगों से क्या करना..