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चाहत उसी से रखो जो बिन इबादत के मिल जाए, जो नसीब में नहीं वो मोहब्बत बेकार है |
मैंने उसे छोड़ना ही मुमकिन समझा, कयूंकि मैं उसे बाँट नहीं सकता था.
तुझे जबसे खोया है तबसे कुछ पाने की ख्वाहिश ही नहीं रही.
जिस दिन उसपर दिल आया था, उस दिन मौत आ जाती तो अच्छा रहता |
जहर की जरूरत नहीं इश्क में, नजर अंदाजी से ही मर जाएंगे..!!
इंसान सबसे ज्यादा ज़लील अपनी पसंद के लोगों से ही होता है |
कैसा अजीब खेल है मोहब्बत का जनाब, एक थक जाए तो दोनों हार जाते हैं |
हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं कुछ ऐसी ही होती है अधूरी मोहब्बत.!!
जिनको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए था वो मेरी एक गलती पकड़े बैठे है |
हमसफर हंसाने वाला चाहिए रुलाने का क्या है रुला तो जिंदगी भी देती है |
जख्म इतने थे दिल पर कि, हकीम ने ईलाज में मौत ही लिख दी
बोहत खुश थे हम साथ में फिर उसे किसी और का साथ मिल गया |
सब खफा है मेरे लहजे से पर मेरे हालात से वाकिफ कोई नहीं |
एक घुटन सी होती है दिल में जब कोई दिल में तो रहता है पर साथ नहीं.!
जिंदगी उस दौर से गुजर रही है दिल दुखता है लेकिन चेहरा हंसता है |
सबका भला सोचने की आदत है मेरी, और मेरी ये आदत मुझे पर ही लागू नहीं होती..
गलती उसकी नहीं मेरी ही थी, अंजाम पता था, फिर भी दिल लगा बैठे.
कहाँ से लाऊं वो नसीब, जो तुझे मेरा कर दे...
बहुत भरोसे टूटे...लेकिन भरोसे की, आदत नहीं गई..!!
जब रिश्तों में ग़लतफहमी आ जाये तो, सच्चा प्यार भी झूठा लगने लगता है.
हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं, दिल हमेशा उदास रहता है.
अफ़सोस सिर्फ इस बात का है , उसको मेरी कमी का कोई गम नहीं |
“होठों की हँसी को ना समझ हक़ीक़त-ए-जिंदगी,दिल में उतर के देख हम कितने उदास है”
“प्यार का रिश्ता कितना अजीब होता है, मिल जाये तो बातें लम्बी और बिछड़ जाए तो यादें लम्बी।”
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल..जिनके चाहने वाले ज्यादा हो..वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं”
“किसी को चाह कर ना पाना दर्द देता है, लेकिन पाकर खो देना ज़िन्दगी तबाह कर जाता है…..!”
बहुत दर्द देती है वो सजा, जो बिना खता के मिली हो।
वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नहीं होती, जितनी किसी अपने के बदल जाने से होती है |
ज़ख़्म वही है जो छिपा दिया जाए.., जो बता दिया जाए उसे तमाशा कहते है...|
बहुत ज्यादा जुल्म करती हैं तुम्हारी यादे, सो जाऊ तो जगा देती हैं, उठ जाऊ तो रुला देती हैं .
अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है ! सवाल भी खुद के होते है और जवाब भी खुद के ..
ये बार बार छोड़ने का शौक तुम्हें ही था, हमनें तो पलके तक भिगोई थीं तुम्हें रोकने के खातिर.