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अब तो खुद से मिलने का मन करता है लोगों से सुना है , "बहुत बुरा हूँ मैं"....!!!
वक़्त ने दिखा दी सबकी असलियत, वरना हम भी वो थे जो सबको अपना कहाँ करते थे ।
कुछ दर्द दर्द नहीं होते, खुद के लिए 'सबक' होते हैं।
सर्दी में भी गर्म हवा जैसी है, मेरी चाय मेरे लिये बिलकुल दवा जैसी है |
'दर्द सहते सहते इंसान सिर्फ हँसना ही नहीं, रोना भी छोड़ देता है।
तलवार के घाव मिट जाते हैं, लेकिन बातों के घाव हमेशा याद रहते है..!
बस एक मेरी मोहब्बत ही ना समझ पाए तुम, बाकी मेरी हर गलती का हिसाब बराबर रखते हो.
आपका दिल बहुत कीमती है कोशिश करें, इसमें वही रहे जो रहने के काबिल है.
समय दिया करो अपने रिश्तों को, ताजमहल लोगो ने देखा है, मुमताज ने नहीं.
गिरगिट माहोल देखकर रंग बदलता है, और इंसान मौका देखकर..!!
मन चाहा पाने के लिए, मन से चाहना पड़ता है.!
ज़माना वफ़ादार नहीं तो क्या हुआ, धोखेबाज़ भी तो हमेशा अपने ही होते हैं!!
कुछ बातों से अनजान रहना ही अच्छा है, कभी कभी सब कुछ जान लेना भी, बहुत तकलीफ़ देता है!!
खामोश रहकर जो जवाब दिया जाये, वो सामने वाले को सोच में डाल देता है.
कमाल का ताना दिया आज मंदिर में भगवान ने, मांगने ही आते हो कभी मिलने भी आया करो।
कामयाबी पर मिठाई माँगने वाले लोग, तकलीफ में नजर तक नहीं आते..!!
तन्हाईयाँ कहती हैं कोई महबूब बनाया जाए, ज़िम्मेदारियाँ कहती हैं वक़्त बर्बाद बहुत होगा !
सच बडी क़ाबलियत से छुपाने लगे है हम, हाल पूछने पर बढिया बताने लगे है हम !
दिल तो ख़रीद लोगे जनाब ... पर उसमें इश्क़ कहा से लाओगे |
किसी से रूठों तो संभलकर रूठना आज कल मनाने का नहीं छोड़ देने का रिवाज़ हैं !
अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरंत समझ में नहीं आते है उन्हें पढ़ना पड़ता है!
तेरी मुस्कुराहट ज़रूरी है माँ... फिर चाहे क़ीमत जो भी हो !
पल पल रंग बदलती है ये दुनिया और लोग पूछते है होली कब है ?
पागल हूं, पागल ही रहने दो जिस दिन समझदार बन गया सह नहीं पाओगे |
सुकून मिल ही जाता है, अब तेरे ना होने से भी तेरी कुछ तस्वीरें मैंने फोन में जो छुपा रखी है |
आप में से कितने लोग गर्व से कह सकते हैं, कि रब के बगैर हम कुछ भी नहीं है...
एक बात याद रखना..!! जो सबका हो जाए वो किसी एक का कभी नहीं हो सकता...
एक वादा ख़ुद से भी करना, मां को जो अच्छा ना लगे, वैसा कोई काम नहीं करना..
इश्क़ उसी से करो जिसमें खामियाँ बेशुमार हों , ये खूबियों से भरे चेहरे इतराते बहुत हैं.
जो ज़ाहिर करना पड़े वो दर्द कैसा और जो दर्द ना समझ सके वो हमदर्द कैसा.
बूरा वक़्त भी क्या कमाल का होता है साहब, जी जी करने वाले भी तू तू करने लगते हैं.
ज़िन्दगी जीने के लिए मिली है, हम सोचने में गुज़ार रहे है...