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छोड़ आया वो आशियाना जो कभी हम दोनों ने मिल कर बनाया था.....अब तेरे दिल के मोहल्ले में भीड़ बहुत हो गयी है |
वो कह रहे थे कि कैंसर से ज़्यादा दर्द कोई दे नहीं सकता...मैंने कहा तुम मेरी वाली से मोहब्बत करके तो देखो |
अगर आप खुश हो तो ये दुनियाँ रंगीन लगती है...वर्ना नम आँखों से तो आईना भी धुँधला नज़र आता है |
मौत तो मेरी महबूबा बनती जा रही है आज-कल, सारी शिकायतें तो मुझे मेरी ज़िन्दगी से हैं |
नजर तो मिला मुझसे, कोई ज़बाब तो दे, औऱ कितनी बार लूटेगी ए-ज़िन्दगी, कोई हिसाब तो दे |
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना, ये जो जिंदगी है समझदार किये जाती है |
तुम चाहे कितने भी अमीर हो जाओ, माँ-बाप के बिना गरीब ही रहोगे.
नाराज़गी भी एक खूबसूरत रिश्ता है, जिससे होती है वो दिल और दिमाग दोनों में रहता है.
संगत का जरा ध्यान रखना साहब, संगत आपकी खराब होगी बदनाम माँ-बाप और संस्कार होंगे .
अजीब बात है ना साहब, आँसू छुपाने के लिए मुस्कुराहट ही काम आती है..
इश्क़ से उम्र का क्या वास्ता जनाब, पुरानी शराब अक्सर महंगी होती है...
क्यूँ याद करेंगे मुझे कोइ बेवजह, ए खुदा ! लोग तो तुझे भी बिना वजह याद नहीं करते |
कभी-कभी की मुलाकात अच्छी है, कद्र खो देता है रोज़ का आना जाना.
वक़्त मोहताज़ कर गया ग़ालिब, वरना माँ के आँचल तले नवाब थे हम !!
जिसे फ़िक्र थी कल की वो रोये रात भर, जिन्हें भरोसा था रब पर वो सोये रात भर....
इंसान दो लोगों से हमेशा हार जाता हैं, एक अपने परिवार से दूसरा अपने प्यार से.
तुझे गुरुर किस बात का है, मरने के बाद तेरे अपने भी छूकर हाथ धोएंगे..
तुम निभा ना सके वो अगल बात है, पर तुमने बादे तो बड़े कमाल के किये थे.
अगर तस्वीरें सच बता पाती तो शायर बेरोज़गार हो जाते.
माना की मोहब्बत बुरी नहीं लेकिन माँ बाप से ज़्यादा ज़रूरी नहीं.
उनकी कदर करने में देर मत करना, जो इस दौर में भी तुम्हें वक़्त देता है.
भूलता कोई नहीं, बस याद करने के बहाने खत्म हो जाते है.
किसी को खो कर सिर्फ उसे ही चाहते रहना, हर किसी के बस की बात नहीं.
खुद की कीमत रखिए उतनी ही, जितनी अदा कर सकें, अगर अनमोल हो गए तो तन्हा रह जाओगे.
दिल से Sorry बोलने वाले को माफ़ कर दिया करो क्यूकि आज कल सबके पास दिल नहीं होता
वाह गालिब तेरे इश्क के फतवे भी कमाल, वो देखें तो अदा हम देखें तो बबाल
किस किस को बताऊं हाल मेरा ... कि सोने नहीं देता ख्याल तेरा ...!! ❤️
ये ही तो है ख़ासियत ज़िन्दगी की, क़र्ज़ वो भी चुकाने पड़ते जो कभी लिये ही नहीं
लोग क्या कहेंगे यह सोच कर जीवन जीते हैं | भगवान् क्या कहेंगे क्या कभी इसका विचार किया है?
वज़न तो सिर्फ हमारी इच्छाओं का है, बाकी ज़िन्दगी बिलकुल हलकी फुलकी है.
दुसरो की मदद करते हुए यदि दिल में ख़ुशी हो तो वही सेवा है बाकी सब दिखावा है .
जो दूसरों की खुशी के लिए अपनी हार मान लेता हो... उससे कोई कभी भी नही जीत सकता है..