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किसी फ़कीर की झोली मैं कुछ सिक्के डाले तो ये अहसास हुए, महंगाई के इस दौर में दुआएं आज भी सस्ती हैं .
तुझे याद कर लिया है आयत की तरह, अब तेरा ज़िकर होगा इबादत की तरह.
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना नहीं समझा, जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है.
हुसन खुदा ने दिया था, आशिक हम हो गये, नसीब किसी और का था, और बर्बाद हम हो गये.
चाँद सिंगल, सूरज सिंगल, और हम भी सिंगल इसका मतलब हर कीमती चीज़ें सिंगल है |
इतंजार है मुझे जिंदगी के आखिरी पने का, सुना है अंत में सब ठीक हो जाता है.
तोड़ क्र जोड़ लो चाहे हर चीज़ दुनियां की.. सब कुछ काबिल-ए-मरम्मत है ..ऐतबार के सिवा....
बेल का पेड़ से, लिपट जाना, ये मोहब्बत नहीं, जरूरत है !
सोचो तो आप बिल्कुल अकेले हो... ठीक से सोचों तो यही सत्य है...
दुख का दरिया शर्म का समंदर होता है सबसे ख़ौफ़नाक भूख का मंजर होता हैं
मन का झुकना बहुत ज़रूरी है मात्र सर झुकाने से महाकाल नही मिलते |
पुरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता हैं ! भूल जाता है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है .
वक़्त बहुत ज़ालिम होता है साहब तुजुर्बा देकर मासूमियत छिन लेता है |
कभी गुलाब तो नहीं दिया मैंने उसे, माँ फिर भी बहुत प्यार करती है मुझसे.
तेरे साथ को तरसे , तेरी बात को तरसे, तेरे होकर भी.. तेरी एक मुलाकात को तरसे.
चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका, डर है कही कह ना दे कि ये हक तुम्हें किसने दिया.
कदर करना सीख लो साहब, मोहब्बत बार-बार नहीं मिलती.
अंधेरो से कह दो बचपन गुजर चुका है अब तुझ से डर नहीं सुकून मिलता है
कभी तो कुछ वैसा हो जैसा मैंने सोचा हो |
मजबूर कर देती है जिंदगी साहब वरना मौत किसे पसंद है
बहुत अकेला कर दिया है मेरे अपनों ने मुझे ,समझ नहीं आता की मैं बुरा हूँ या मेरी किस्मत |
अंदाज मुझे भी आता है नज़र अंदाज करने का पर तू तकफ़ील से गुजरे ये मुझे गवारा नहीं |
इस दुनिया में मोहब्बत कि तक़दीर बदलती हे, शीशा तो वोही रहता हे पर तस्वीर बदलती हे.
जिंदगी में यह हुनर भी आजमाना चाहिए, जंग अगर अपनों से हो तो हार जाना चाहिए !!
अब तो वक़्त ही उसे बतायेगा, की कितने कीमती थे हम !!
वो आईने में खुद को कैसे बर्दास्त करती होगी, उसे तो नफरत थी धोखेबाजों से..
किसी शायर से कभी उसकी उदासी कि वजह पूछना, दर्द को इतनी ख़ुशी से सुनाएगा कि प्यार हो जायेगा .
यहाँ तो खुद से ही मिले जमाना हो गया, साहब और लोग कहते है की हमें भूल गये हो तुम !!
तुम खास थे इसलिए लड़े तुमसे, पराये होते तो मुस्कुरा कर जाने देते ...
काश तकदीर भी जुफलों की तरह होती, जब जब बिखरती तब तब सवार लेते.
कहा मिलता है कोई समझने वाला, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है |
जिसको आज मुझमे हजारो गलतिया नजर आती हैं कभी उसी ने कहा था तुम जैसे भी हो मेरे हो |