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तसल्ली के भी नख़रे बहुत हैं.. लाख कोशिशें कर लो मिलती ही नही है....
रिश्तों में निख़ार सिर्फ हाथ मिलाने से नहीं आता ,विपरीत हालातों में हाथ थामें रहने से भी आता है...
तन्हाई हमें अपने-आप से मिलती है दुसरों से नहीं
तन्हाई हमें अपने-आप से मिलती है दुसरों से नहीं
अहसास दस्तक की मोहताज नहीं होती.. खुश्बू है तो बंद दरवाजे से भी गुजर जाएगी...
गलतफहमी में जीने का मजा ही कुछ और है वरना हकीकते तो अक्सर रुला ही जाती है..
कैदी हैं सभी यहाँ कोई ख्वाबों का कोई ख्वाईशों का...
जिंदगी कुछ ख्वाब तुम ने तोड़ दिए, और कुछ हमने देखने छोड़ दिए..
दुनिया मे कोई किसी का नही होता✔️👏..लाख निभाओ रिश्ता कोई अपना नही होता... 💘
कोई भी रिश्ता न होने पर भी जो रिश्ता निभाता है....वो रिश्ता एक दिन दिल की गहराइयों को छू जाता है....
तमाम जख्मो के साथ इसलिये जी रही हुँ की , एक दिन तो वो मिलेगा जो मरहम लगाना जानता हो
बस कीमत बता तू मुझे मोहब्बत से रिहाई की बहुत तकलीफ होती है तेरी यादों की सलाखों में
ये शीशे,ये सपने,ये रिश्ते और ये जिंदगी, किसे क्या खबर है... कंहा टूट जायेंगे...
सवाल करने वाले तो बहुत मिलते है , लेकिन बिना सवाल किये ख्याल रखने वाले नसीब से मिलते है
कितना अजीब है ये फलसफा जिंदगी का, दूरियां सिखाती है..नजदीकियां क्या होती है..
जिंदगी थम सी गई है..पर वक्त है कि फिसलता ही जा रहा है 👈
नाम देने से कौन से रिश्ते सँवर जाते हैं , जहाँ रूह न बँधे दिल बिखर जाते हैं...
साझेदारी करो तो किसी के दर्द की करो... क्योंकि खुशियों के तो दावेदार बहुत हैं ...
जहाँ हमारी क़दर ना हो ,वहाँ रहना फिज़ूल है.... चाहे किसी का घर हो ,चाहे किसी का 💘 दिल...
बोझ सीने पे बहुत है... पर मुस्कुरा देने में क्या लगता है.
"जिस्म तो बहुत संवार चुके रूह का श्रंगार कीजिये, फूल शाख से न तोडिये खुशबुओं से प्यार कीजिये.
"इस साल गर्मी तो बहुत पड़ रही है फिर भी तेरा दिल पिघलने का नाम नहीं ले रहा❤"
ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है, सब कहते थे, जिस दिन तुम ज़िन्दगी में आये , यकीन भी हो गया।।
"बहुत कोशिशें की हैं तम्हें भूल ने की पर कमबख्त दिल तो बच्चा है जी , हर ज़िद कर बैठा था है तम्हें रोज़ याद करने की।"
"ये इश्क़ के घाव बहुत गहरे है, दर्द भी देते हैं और भरते भी नही"
"मुझे उस जगह से भी मोहब्बत हो जाती है जहां बैठ कर तुझे सोच लेती हू
"वो इश्क़ मे शायद हमारा इम्तिहान ले रहे है , लेकिन उन्हे क्या मालूम वो हमारी जान ले रहे है
मैं जानती हूँ फासला बहुत है दरमियाँ , ये दिल ही कमबख्त ना कुछ समझे तो क्या करूँ
अजीब रंग में गुजरी हे जिंदगी अपनी, दिलो पर राज़ किया और मोहब्बत को तरसे !
जरूरी नही कि हर शख्स हमसे मिलकर खुश हो , मगर हमारी कोशिश यह रहे कि हमसे मिलकर कोई दुखी न हो
एक चाहत होती है अपनों के साथ जीने की, वरना पता तो हमें भी है की मरना अकेले ही है...
मैं जैसी हूँ वैसी रहने दो गर बिगड़ गयी तो संभाली न जाऊंगी