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सुकून और इश्क वो भी एक साथ, रहने दो गालिब कोई अकल की बात करो..
आजमाते हैं लोग सब्र मेरा, करके जिक्र बार-बार तेरा |
दिल तो खरीद लोगे जनाब.. पर उसमें इश्क कहां से लाओगे..!
उसी से पूछ लो उसके इश्क की कीमत, हम तो बस भरोसे पे बिक गए.
किसी को गलत समझने से पहले, उसके हालात समझ लिया करो |
तेरी मुस्कुराहट जरूरी है माँ फिर कीमत चाहे जो भी हो.
अजीब अदा है लोगों की नजरें भी हम पर हैं और नाराज भी हमसे ही हैं |
मेरा खुद के सिवा कोई अच्छा दोस्त नहीं है, मुझे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता |
ख्वाहिश नहीं हर कोई तारीफ करें, मां-बाप नाज़ करे बस इतनी मेहनत करनी है
सबको खुश रखने वाला इंसान देखा है, मैंने अपने पापा में भगवान देखा है.
ऐसे बनो के तुम नहीं, वो तुम्हें खोने से डरे |
सूखे होंटों पे ही होती हैं मीठी बातें, प्यास जब बुझ जाये तो लहजे बदल जाते हैं.
आंखो को अक्सर वही चीज़ पसंद आती है, जिसका मिलना मुश्किल हो.
खुबसूरत सा वो पल था, पर क्या करें वो कल था.
तेरे बाद किसी को देखा नहीं, शौक मोहब्बत का था आवारगी का नहीं.!
अधूरे रह जाते हैं एहसास भी, जब लफ्ज़ बहुत सोच कर लिखे जाते हैं.!
पीठ पर लगे खंजरों को जब गिनवाया मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनों को गले लगाया मैंने.!
“कितने दिन गुजर गए और तुमने याद तक ना किया.. मुझे नहीं पता था..की इश्क में छुट्टिया भी होती है”
“इस दुनिया के लोग भी कितने अज़ीब हैं … सारे खिलौने छोड़ कर जज़्बातों से खेलते हैं”
“हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम”
“जिंदगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा, क्योंकि उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, हमसफ़र नहीं”
“प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।”
दिल में चाहत का होना जरूरी है…वरना…याद तो रोज दुश्मन भी करते हैं…!!…
फर्क पड़ता है इसलिये आज भी साथ हूँ, नहीं पड़ता तो कबका छोड़ दिया होता.
एक जैसी ही दिखती थीं माचिस की वो तीलियाँ, कुछ ने दीये जलाये और कुछ ने घर |
मुझे मिलने मेरी औकात आयी है, मकान कच्चा है और बरसात आई है |
गुजर जायेगा ये वक्त भी जरा सब्र तो रख, जब ख़ुशी ही नहीं ठहरी तो गम की क्या औकात |
मुसीबत में पिता की राय और हर सुबह माँ की चाय, दूर जाने के बाद बहुत याद आती है.
सपना जब हकीकत से टकरा जाये, तब जीत हकीकत की होती है .
जो लोग जानते है बिछड़ जाने का दुःख, वो साथ बैठे परिंदों को उड़ाया नहीं करते.
मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला, अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।
हर रोता हुआ लम्हा मुस्कुराएगा, तू सब्र रख अपना वक़्त भी आएगा.