मुझे छोड़कर वो खुश है तो शिकायत कैसी.. अब मै उन्हें खुश भी न देखों तो मोहब्बत कैसी ...

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बदल जाते हैं, वोह लोग वक़्त की तरह जिन्हें हद्द से ज्यादा वक़्त दिया जाता है |

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रात भर जलता रहा ये दिल उसकी याद में समझ नहीं आता दर्द प्यार करने से होता है या याद करने से |

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अक्सर बीत जाती है मेरी राते, ये सोचते सोचते की क्यों मोहब्बत की मैंने उनसे |

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कभी कभी नाराज़गी दुसरो से ज़्यादा खुद से होती है |

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सब छोड़ते ही जा रहे हैं मुझको ऐ ज़िन्दगी, तुझे भी इजाज़त है, जा जा के ऐश कर |

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बहुत कुछ पाने वाले बहुत कुछ खोया करते हैं, इस दुनिया में हसने वाले सबसे ज़्यादा रोया करतें हैं

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मेरे दर्द से वाकिफ नहीं अपनी खता मानता ही नहीं | क्या शिकायत करू उसे जो वफ़ा जानता ही |

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एक एहसान कर दे मुझपे, एक पत्थर दिल मुझे भी ला दे |

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मोहब्बत तो क़ायम रहती है जनाब मोहब्बत करने वाले टूट जाते है

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बाज़ार गया था आँसू बेचने हर ख़रीददार बोला की, अपनों के दिए तोहफे बेचा नहीं करते..

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कभी फुर्सत हो तो इतना जरूर बताना, वो कौन सी मोहब्बत थी जो हम तुम्हें ना दे सके.

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सुकून की तलाश में हम दिल बेचने निकले थे, खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया.

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क्या करोगे अब मेरे पास आकर खो दिया तुमने मुझे बार-बार आजमा कर..

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मैं दिसंबर और तू जनवरी रिश्ता काफ़ी नज़दीक का और अंतर साल भर का |

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खामोशियां बेवजह नहीं होती कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करते हैं

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कुछ तो मजबूरियां रही होगी उनकी भी, यूं चाहकर तो कोई बेवफा नहीं होता .

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सुकून गिरवी है उसके पास मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिससे...

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बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का, अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं!

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अगर साथ होते वो तो जरूरत होती, अपने अकेले के लिए में कायनात क्या मांगू…

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ना आवाज हुई, ना तामाशा हुआ, बड़ी खामोशी से टूट गया, एक भरोसा जो तुझ पर था…

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टूटे हुए दिल भी धड़कतें हैं उम्र भर, चाहें किसी की याद में चाहे किसी की फरियाद में।

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न रहा करो उदास किसी वेबफा की याद में, वो खुश है अपनी दुनिया में तुम्हारी दुनिया उजाड़ के।

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तेरे बाद हमारा हमदर्द कौन बनेगा, हमने तो सब छोड़ दिया तुझे पाने की जिद्द में।

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इतना दर्द तो मौत भी नही देती, जितनी दर्द तेरी ख़ामोशी दे रही है।

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सुना है मतलब बहुत वजनदार होता है, निकल जाने के बाद हर रिश्ते हल्का कर देता है

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रूठना भी छोड़ दिया है अब मैंने, उम्मीद नहीं कोई मनाने भी आयेगा।

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यूँ ना छोड़ कर जाया करो बार-बार,अगर मैं रूठ गया तो,मेरी एक झलक को भी तरसोगी |

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दिल की ना सुन, ऐ फ़कीर कर देगा, वो जो उदास बैठे हैं नवाब थे कभी.

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हमने तो अल्फांजों में अपना दर्द सुनाया था उन्हें, मगर वो शायरी समझ कर, मुस्कुरा कर चले गए |

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एक गुलदस्ता लाया था उस तितली की खातिर जो अब किसी और के बग़ीचे में उड़ती है |

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पता नहीं तेरे लगाये हुए ज़ख्म क्यूँ नहीं भरते, मेरे लगाये हुए तो पेड़ भी सूख जाते हैं |

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