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बड़े बेताब थे वो मोहब्बत करने को हमसे, जब मैंने भी कर ली तो उन्होने शौंक बदल दिया.
कोई नहीं था दिल में उसके सिवा, फिर भी उसने तोड़ कर देखा.
पूछा जो हमनें किसी और के होने लगे हो क्या, वो मुस्कुराकर बोले पहले तुम्हारे थे क्या.
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नहीं, इतनी ही फ़िक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नहीं |
वापस आ जा ऐ ख़ुशी, वरना जिंदगी भर सो नहीं पाएंगे जी तो सकते नहीं, पर मर भी नहीं पाएंगे .
शुक्रिया तुमने एक हस्ते हुए चेहरे को खामोश कर दिए
धीरे धीरे तो बस नज़दीकियां ही बढ़ती है, रिश्ते तो अक्सर एकदम से ही टूटा करते है.
तुम्हे चाहने वाला जब तुम्हे ही वक्त देना बंद कर दे तो समझ लेना कि वो अब तुम्हारा नहीं रहा
मैं तुमको सिखाना चाहता था कि प्रेम कैसे किया जाता है पर तुमने मुझे सिखा दिया कि प्रेम नही करना चाहिए।
ज़िन्दगी रोज मुझसे कहती है.. तूने क्या हाल कर दिया मेरा..
जब छोटे थे तो बातें भूल जाते थे तो सब कहते थे याद रखना सीखो, अब जब बड़े हो गए हैं तो हर बात याद रहती है तो सब कहते हैं भूलना सीखो.
किसी अपने को खोकर हम मरते नहीं है .... बस जीना भूल जाते है ...
मोहब्बत कितनी भी सच्ची कर लो ..... लोंगो को सच्ची मोहब्बत वाले नही .... अच्छी शक्ल वाले ही पसन्द आते है ...
बेशक जो दुःख दे उसे छोड़ दो ..... मगर जिसे छोड दो उसे दुःख मत दो ...
कुछ लोग जब बोल नहीं पाते , बस रो देते है ...
भीड़ है मेरे पास रिश्तों की , फिर भी किसी अपने की कमी है ...
वो भी बात करते है कदर की , जो खुद किसी की कदर नहीं करते...
समझने वाला तुम्हारी खामोशी को भी समझ लेगा , ना समझने वाला तुम्हारी चीख़ को भी शोर कहेगा ...
हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए, वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता
कतरा कतरा तुझे चुनते रहे कतरा कतरा खुद बिखर गये
मत बनाओ मुझे फुर्सत के लम्हों का खिलोना मैं भी इंसान हूँ दर्द मुझे भी होता है
इतना भी ना चाहो किसी को वो चला जाये और ज़िन्दगी बेरंग और गुमनाम हो जाए..
जो वक्त नहीं दे सकते वो साथ क्या देंगे |
क्यों गरीब समझते हैं हमें ये जहां वाले, हजारों दर्द की दौलत से मालामाल हैं हम…...!
दिलों में खोट है ज़ुबां से प्यार करते हैं, बहुत से लोग दुनिया में यही व्यापार करते हैं…...!!!
समेट कर सारे जज़्बात रख दिये सिरहाने थोड़े सुकून के हक़दार हम भी हैं...
क़ोई ज़ुदा हो तो ऐसे ना हो, कि लौटने का भ्रम रह जाये
उँगलियाँ निभा रही हैं रिश्ते आजकल ज़ुबाँ से निभाने का वक्त कहाँ
कई बार ऐसा भी होता है के ज़रूरत से ज़्यादा सोचना भी इंसान की खुशियां छीन लेता है।
मायने खो देते हैं वो जवाब, जो वक्त पर नहीं मिलते !!
तेरी नाराज़गी वाजिब है दोस्त.. मैं भी खुद से खुश नहीं हूं आजकल...
मै तुमको भूल तो जाऊं मगर छोटी सी उलझन है.. सुना है... दिल से धड़कन की जुदाई मौत होती है ..!